Pariksha Pe Charcha – 2020 – परीक्षा पे चर्चा 2020

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प्रधानमंत्री का परीक्षा पे चर्चा एक सफल कार्यक्रम बन चुका है ओर इसमें कोई शक नहीं के बहुआयामी व्यक्तित्व की बानगी इस कार्यक्रम – परीक्षा पे चर्चा (Pariksha Pe Charcha 2020) में भी देखने को मिलती है।

परीक्षा पे चर्चा (Pariksha Pe Charcha 2020) का पूरा वीडियो देखें।

Pariksha Pe Charcha 2020 (Source: PMO)

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज (20 जनवरी, 2020) को स्कूल के बच्चों के साथ परीक्षा पे चर्चा के मंच पर कई सवालों के जवाब में अपने विचार व्यक्त किए। कुछ का जिक्र यहां नीचे किया गया है।

सबसे निर्दोष सवाल (Most Innocent Question) कौनसा समय पढ़ने के लिए उपयुक्त है – सुबह या देर रात तक पढ़ने की आदत!

प्रधान मंत्री मोदी ने कहा की इस प्रश्न का ऊतर मुश्किल है पर वो इसका जवाब देने के 50% अधिकारी हैं कुकी वो सुबह जल्दी उठते हैं पर 50% शायद  नहीं कुकी उन्हे देर रात तक जागना पड़ता है! 

ऊनक कहना था की संभव है कि सुबह उठकर आप पढ़ते हैं तो मन और दिमाग से पूरी तरह तंदुरुस्त होते होंगे, लेकिन हर किसी की अपनी विशेषता होती है, इसलिए आप सुबह या शाम जिस समय comfortable हों, उसी समय में पढ़ाई करो।
हमारा दिनभर के कामों, थकावट, में दिन बीतता है तो दिमाग कुछ engage रहता है। क्या उस वक्त आपका दिमाग खाली होगा क्या? दिन भर की घटनाओं का एक्शन-रिएक्शन भी चलता होगा। रात की गहरी नींद के बाद ये तो निशित है की दिमाग ज्यादा खाली होगा ओर ज्यादा मेमोरी में register करने के लिए तैयार होगा पर फिर भी ये स्वयं तय करें की उन्हे किस समय सुविधा होती है पढ़ने में !

  • हमने डर के कारण आगे पैर नहीं रखे, इससे बुरी कोई अवस्था नहीं हो सकती। हमारी मनोस्थिति ऐसी होनी चाहिए कि हम किसी भी हालत में डगर आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, ये मिजाज तो हर विद्यार्थी का होना चाहिए।
  • प्रधानमंत्री जी ने स्वदेशी का भी संदेश बच्चों को दिया: क्या हम तय कर सकते हैं कि 2022 में जब आजदी के 75 वर्ष होंगे तो मैं और मेरा परिवार जो भी खरीदेंगे वो Make In India ही खरीदेंगे। मुझे बताइये ये कर्त्तव्य होगा या नहीं, इससे देश का भला होगा और देश की economy को ताकत मिलेगी।

  • मूड ऑफ को मूड चार्ज में कैसे बदलें! पीएम ने दो उदाहरण देकर बताया कि बच्चों का मूड ऑफ कैसे होता है और इसके कैसे चार्ज किया जा सकता है। बकौल पीएम, जब आप पढ़ाई करते हो और मां को कहते हो कि मां मुझे 6 बचे चाय दे देना। जब मां समय पर चाय देने नहीं आती है तो हम गुस्सा हो जाते हैं। मूड ऑफ हो जाता है, लेकिन एक मिनट के लिए सोचिए कि मां आपका कितना ख्याल रखती है, वो भूल नही सकती कि आपको चाय देना है। हो सकता है उसको कुछ हो गया हो, कोई और जरूरी काम आ गया हो। ऐसा सोचेंगे तो मूड ऑफ होने के बजाए मूड चार्ज हो जाएगा। 

  • सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं हैं। कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है। ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए। मैं माता-पिता से भी आग्रह करूंगा कि बच्चों से ऐसी बातें न करें कि परीक्षा ही सब कुछ है!

  • तकनीक को हम अपने ऊपर हावी होने न दें। तकनीक को  हम अपना दोस्त माने, बदलती तकनीक की हम पहले से जानकारी जुटाएं, ये जरूरी है पर तकनीक के गुलाम न बनें । स्मार्ट फोन जितना समय आपका समय चोरी करता है, उसमें से 10 प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें खींचकर ले जाए, उससे हमें बचकर रहना चाहिए। हमारे अंदर ये भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक को अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा: पीएम मोदी

  • अरुणाचल प्रदेश की बेटी के सवाल पर जवाब: इस देश में अरुणाचल ऐसा प्रदेश है जहां एक दूसरे से मिलने पर जय-हिंद बोला जाता है।ये हिंदुस्तान में बहुत कम जगह होता है। वहां के लोगों ने अपनी भाषा के प्रचार के साथ हिंदी और अंग्रेजी पर भी अच्छी पकड़ बनाई है। हम सभी को नॉर्थ ईस्ट जरूर जाना चाहिए

  • चंद्रयान की विफलता के संदर्भ में भी बच्चों से कुछ राज साझा किए! पीएम मोदी ने कहा, ‘आपसब रात को जाग रहे थे। कुछ लोगों ने मुझे कहा था कि आपको वहां नहीं जाना चाहिए, क्या होगा अगर ये मिशन फेल हो गया। मैंने कहा- इसीलिए मुझे जाना चाहिए। मिशन में गड़बड़ी के बाद मैंने वैज्ञानिकों को समझाया और अपने होटल चला गया। लेकिन सोने का मन नहीं हो रहा था। तब मैंने PMO की पूरी टीम को बुलाया। उनसे कहा कि सुबह हमें जल्दी जाना है, लेकिन हम देर से जाएंगे। सुबह एक बार फिर वैज्ञानिकों से मिलेंगे। हम उनसे मिले, मैंने अपने भाव व्यक्त किए। उनके परिश्रम की सराहना की। इतनी बात से वहां के साथ-साथ पूरे देश का माहौल बदल गया। कहने का मतलब ये है कि हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। हर प्रयास में उत्साह भर सकते हैं। किसी चीज में आप विफल हुए, इसका मतलब ये है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हैं।’
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